

मातृत्व दिवस ( Mother, s Day) के उपलक्ष में माँ की महीमा! नास्ति मातृसमा छाया, नास्ति मातृसमा गति:! नास्ति मातृसमं त्राण, नास्ति मातृसमा प्रिया!! अर्थात् माता के समान कोई छाया नही है, माता के समान कोई छाया नही है! माता के समान कोई रक्षक नहीं है और माता के समान कोई प्रिय चीज नही है! वैदिक भारतीय संस्कृति में मां की महीमा कि वेद, उपनिषद् और अन्य संस्कृत के ग्रंथों में उच्च स्थान दिया गया है! माँ का स्थान सभी धर्मों और मजहब में देव तुल्य है! आज मातृत्व दिवस है और सोशल मीडिया में इस उपलक्ष में पोस्ट अपडेट किए जा रहे हैं! पर क्या मात्र एक दिन मातृत्व दिवस मनाने के लिए प्रयाप्त है! मां हमे हर पल हर क्षण प्यार और देखभाल करती है और मां के ऋण से केवल एक दिन की रस्म अदायगी से उऋण नहीं हुआ जा सकता! और मां की महीमा और दुलार को मात्र शब्दों से वयक्त नहीं किया जा सकता! यदि हमें अपने माता पिता के प्रति सम्मान वयक्त करना है तो वृद्धावस्था में उनके स्वास्थ्य का ध्यान रखें! हमारे पास बहुत बार फोन आते हैं जिसमें बच्चे बाहर शहर में या विदेश में रहतें है और उनको अपने माता पिता के लिए योग प्रशिक्षिक की आवश्यकता है जो उनको घर पर योग सेवा दे सकें! और अंत में हम यही वयक्त करना चाहेंगे कि मां की महीमा को एक दिन के लिए सीमित नहीं किया जा सकता! Yogsutraa yoga at home और Pregnancy yoga with yogita की ओर से मातृत्व दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं!
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