

गर्भावस्था में सीखना प्रारम्भ कर देता है शिशु यह सुनने पर आपको आश्चर्य हो सकता है कि जन्म से ३ माह पूर्व ही गर्भस्थ शिशु माता द्वारा अथवा माता के आस-पास बोले जाने वाले शब्दों को सुनने लगता है | इस पर फ्रांस के वैज्ञानिकों ने शोध कर इसको सिद्ध किया है | https://www.abc.net.au/news/2013-02-26/unborn-babies-learn-sounds-of-speech3a-study/4541788?utm_campaign=abc_news_web& amp;utm_content=link& amp;utm_medium=content_shared& amp;utm_source=abc_news_web भारतीय शास्त्रों में तो इस बात का सबसे बड़ा प्रमाण महाभारत में अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु द्वारा चक्रव्यूह रचना का विध्वंश कर देना है | महर्षि वेदव्यास जी लिखते हैं - श्री कृष्णेन सुभद्रायै गर्भवत्येनिरुपितम् चक्रव्यूह प्रवेशस्य रहस्यं चातुदम्भितत् अभिमन्यु स्थितो गर्भे द्विवेद्यनानयुतो श्रुणो रहस्यं चक्रव्यूहस्य सम्पूर्णमसत्यातवा यदार्जुनो गतोदुरं योद्धुं सम्शप्तदैसः अभिमन्यु विनानानान्यः समर्द्योव्यूहभेदने भेदितेचक्रव्यूहेपि अतएव विविणेवा पार्थपुत्रस्य एकाकी कौरवे निगुर्णेवतः अर्थात् अर्जुन अपनी पत्नी सुभद्रा को गर्भावस्था के समय युद्ध कौशल के विषय में ज्ञान देते समय चक्रव्यह भेदन कला से अवगत करा रहे थे | सुभद्रा उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुन रही थी परन्तु गर्भावस्था की स्वाभाविक थकान के कारण उन्हें निद्रा आ जाती है व चक्रव्यूह के सातवें द्वार को भेदन सुन नहीं पाती | यही कारण रहा की अभिमन्यु चक्रव्यूह भेदन के अंतिम द्वार पर कौरव महारथियों द्वारा घेर लिया जाता है | ऐसी अनेक घटनाएँ है जो सिद्ध करती हैं की गर्भावस्था के समय माँ जैसा खाएगी, देखेगी, पढेगी, सुनेगी उसका सीधा-सीधा प्रभाव उसके गर्भ में पल रहे शिशु पर पडेगा | हम देखते है कि आज के नवजात शिशु में मोबाइल फोन की तरफ स्वभाविक आकर्षण होता है क्योंकि संपूर्ण गर्भावस्था में शिशु की माँ द्वारा किसी न किसी रूप में मोबाइल फोन का प्रयोग किया जाता है | राजा रितुध्वज की पत्नी रानी मदालसा ने 4 पुत्रों को जन्म दिया था जिसमें से पहले ३ सन्यासी बने व चौथे राजा अश्वपती के नाम से विख्यात हुए | विचार कीजिए एक ही कोख से जन्मे बच्चे सन्यासी अथवा राजा कैसे बने होंगे ? क्योंकि पहले ३ पुत्रों के जन्म के समय रानी मदालसा ने राजसी सिंहासन का त्याग कर भूमी पर सोना प्रारम्भ कर दिया था सभी प्रकार के राजसी वैभव को तिलांजलि दे एक साध्वी की भांति जीवन व्यतीत कर रही थी, वैराग्यपूर्ण ग्रंथों का स्वाध्याय करती थी , जिस कक्ष में निवास था वहां योगी, वैरागी, सन्यासियों के चित्र लगे थे | व माता मदालसा द्वारा इन सभी ३ पुत्रों को सन्यासी बनाने का प्रण था जिसके कारण वे तीनों पुत्र सन्यासी बने | परन्तु चौथे पुत्र के जन्म से पूर्व राजा ऋतु ध्वज ने रानी मदालसा से प्रार्थना की कि चौथी संतान राजा बने जिससे राज-पाठ को वह संभाल सके | इसलिए चौथी संतान के गर्भावस्था के समय रानी ने राजसी वैभव का पूर्ण प्रयोग किया, सिंहासन पर सोना प्रारम्भ किया व राजोचित सभी प्रकार के कार्य करने लगी | अपने राजमहल में भी अनेक पराक्रमी राजाओं के चित्र लगवाए व भविष्य में ये ही चौथी संतान राजा अश्वपती के नाम से विख्यात हुई | इसलिए गर्भावस्था के समय माँ व संतान दोनों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होता है | यदि इन 9 महीनो में माता उचित आचार, विचार, व्यवहार कर ले तो बच्चा निश्चित रूप वैसा ही होगा जैसा माता चाहती है | इसलिए कहा जाता है गर्भावस्था के समय माता को प्रसन्न रहना चाहिए | किसी भी प्रकार का मानसिक तनाव नहीं होना चाहिए | परन्तु क्या यह सब कुछ आज के इस समय में संभव है ? हाँ है | यदि आप गर्भावस्था के समय योग, प्राणयाम , ध्यान आदि को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बना ले | योगाभ्यास करके आप न केवल शारीरिक रूप से स्वस्थ रहेंगे अपितु मानसिक रूप से भी स्वस्थ रहंगे | वर्तमान में भारत में कुछ गिनी-चुनी ही योग्य, प्रशिक्षित महिला शिक्षिकाएं हैं जिनमें PREGNANCY YOGA WITH YOGITA योगसंस्थान अति विख्यात है | गर्भावस्था के दौरान किस प्रकार का योगाभ्यास आप को करना चाहिए ? अन्य क्या- क्या आपको सावधानियां रखनी चाहिए ? यह सब इस संस्थान के अनुभवी शिक्षकों द्वारा सिखाया जाता है| आज के समय में बिना ओपरेशन के शिशु का जन्म होना कठिन प्रतीत होता है परन्तु कुछ योगिक क्रियाओं द्वारा आप प्राकृतिक रूप से भी बिना ओपरेशन के शिशु को जन्म दे सकतीं हैं | अधिक जानकारी के लिए हमारी वेबसाईट पर विजिट करें |
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